हनुमान जयंती पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह पर्व दो बार मनाया जाता है: एक बार भगवान हनुमान के जन्म के अवसर पर और दूसरी बार उनकेevil शक्तियों पर विजय प्राप्त करने के लिए। हनुमान भगवान शिव के अवतार हैं और श्री राम के परम भक्त हैं, जो समर्पण और भक्ति का प्रतीक माने जाते हैं।
हनुमान जी के जन्म के समय के बारे में कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। हर साल यह पर्व चैत्र महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर इसे कार्तिक महीने की चतुर्दशी को, जबकि अन्य स्थानों पर मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में हनुमान जी का जन्मोत्सव वैशाख महीने से भी जोड़ा जाता है। रामायण और अन्य ग्रंथों के अनुसार, हनुमान जयंती का संबंध विभिन्न महीनों से है, जो क्षेत्रानुसार भिन्न होता है।
हनुमान जयंती 2024: शुभ तिथि और समय
इस दिन भगवान हनुमान की पूजा सभी विधियों के साथ करें ताकि आपको फलदायी परिणाम मिलें।
चतुर्दशी अवधि: 23 अक्टूबर को शाम 06:03 बजे से 24 अक्टूबर को 05:27 बजे तक।
सुबह की शुभ पूजा मुहूर्त: 23 अक्टूबर, 10:41 बजे से 12:05 बजे तक।
शाम की शुभ पूजा मुहूर्त: 23 अक्टूबर, 07:19 बजे से 08:55 बजे तक।
कार्तिक चतुर्दशी का महत्व
महारिशि वाल्मीकि के अनुसार, उत्तर भारत में लोग अक्सर कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हनुमान जयंती मनाते हैं। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान शिव ने माता अंजना के गर्भ से हनुमान के रूप में अवतार लिया। हनुमान जी ने श्री राम जी के सबसे बड़े सहायक और भक्त के रूप में कार्य किया और रावण का वध करने में उनकी मदद की। इस दिन भक्त स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्यों का महत्व देते हैं। चतुर्दशी तिथि को भक्त सुबह जल्दी उठकर उपवास रखते हैं ताकि भगवान हनुमान के आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। इस दिन हनुमान जी को चमेली का तेल और रोली चढ़ाना भी विशेष महत्व रखता है।
हनुमान जयंती पर पूजा करने का सही तरीका
हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से शुद्धता के साथ की जानी चाहिए। भक्त को उपवास, पूजा और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन गंगा स्नान का भी बहुत महत्व है। एक चौकी पर, पीले कपड़े से ढकी हुई, श्री राम और सीता की मूर्ति या चित्र के साथ हनुमान जी की मूर्ति रखी जानी चाहिए। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं जो हनुमान जयंती पर ध्यान में रखने चाहिए:
- पूरे दिन उपवास रखें और भगवान की पूजा करें।
- श्री राम और देवी सीता की पूजा करने के बाद हनुमान जी की पूजा करें।
- मूर्तियों को जल और पंचामृत से स्नान कराएं।
- लाल चंदन, अक्षत, मौली, फूल, धूप, कपड़े, फल, सुपारी आदि अर्पित करें।
- सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- आरती के बाद प्रसाद अर्पित करें।
हनुमान जयंती पर उपवास और पूजा सभी प्रकार की बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने का कार्य करती है। यह मानसिक और शारीरिक बिमारियों तथा वित्तीय समस्याओं का समाधान भी करती है।
हनुमान जयंती से जुड़ी प्रमुख किंवदंतियाँ
हनुमान जी के जन्म के बारे में कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। सबसे लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, उनका जन्म चैत्र महीने की पूर्णिमा को हुआ था। उत्तर भारत में इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और हनुमान मंदिरों में भीड़ उमड़ती है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में, हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा से वैशाख महीने तक मनाई जाती है, जबकि तमिलनाडु में इसे वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की दशमी को मनाया जाता है।
ज्योतिषीय महत्व
हनुमान जयंती और काली चौदस महोत्सव के बीच संबंध भी महत्वपूर्ण है। हनुमान जी शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक हैं। वे अपनी इच्छानुसार किसी भी रूप में आ सकते हैं और बुराईयों से रक्षा करते हैं। काली चौदस पर हनुमान जी की पूजा करने से भक्त बुराईयों और तांत्रिक क्रियाओं से सुरक्षित रहते हैं।
हनुमान जी की उपासना से सभी दुष्ट शक्तियों का नाश होता है। हनुमान जी शक्ति, बुद्धि, और ज्ञान का आदर्श मिश्रण हैं, और अपनी सेवाओं के माध्यम से दिव्य से जुड़े रहने का मार्ग दिखाते हैं।
निष्कर्ष
हनुमान जयंती न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह हमारे लिए एक अवसर है कि हम अपने भीतर की ऊर्जा को पहचानें और सकारात्मकता की ओर अग्रसर हों। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की भक्ति हमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करती है।